हौसला

 रखेंगे हौसला , 


मंजिल को अपना घर बना लेंगे ।


आज़ादी की जंग में तुझको  अपना साहिल बना लेंगे 


मुकर्रर मौत भी हो अब तो , पलटकर देखना नहीं ,


छाप कर छाप उस अम्बर को अपना गढ़ बना लेंगे 


रखेंगे हौसला मंजिल को.....!




संजीदा हालात तो क्या , रुक जाऊ ? 


वीर यूँ तो मैं नहीं  । 


लड़ेंगें सांस-सांस , 


सांसों को बवंडर बना लेंगे ।



रखेंगे हौसला मंजिल को अपना घर बना लेंगे ।




रखोगे पिंजरे में मुझको , 


तो सुन लो कर्महीन अब तुम ,


पंजों से चीर कर अब पिंजरे को महफ़िल बना लेंगे ।  


रखेंगे हौसला मंजिल को अपना घर बना लेंगे ।



लेखक 100kshtra/ 100urav_indori

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