तुम्हारी औकात क्या है ?

अगर मजदूर हो तो तुम्हारी औकात ही क्या है? अगर ड्राइवर हो तो तुम्हारी औकात ही क्या है ? किसी के अधीनस्थ कार्य कर रहे हो, तो तुम्हारी औकात ही क्या है ? तुम अगर एक आम जनमानस हो, तो तुम्हारी औकात क्या है? सौ की सीधी एक बात अगर गरीब हो तो तुम्हारी औकात ही क्या है...?


अलबत्ता दंभ का आना भी जरूरी है, वरना लोगों को कहां ही उनकी औकात का अनुपात पता चलता है। हर वर्ष दशहरा तो मनाया जाता है किंतु दंभियों का रावण सदैव अमर है जो समय समय पर बाहर निकल ही आता है। 


हाँ, कभी तो यह रावण दहन होता है और कभी तो वो रावण उनकी मृत्यु के साथ ही दहन होता है। पीछे रह जाते हैं तो उनके ऐसे कार्य जो लोगों को उनकी औकात का पैमाना याद कराते रहते हैं। 


हालही में किसी के द्वारा कहे गए शब्द "दबदबा था, दबदबा है, और दबदबा रहेगा" बोलने के महज कुछ ही घंटों में दबदबा कहीं दबा हुआ दिखाई दिया। ट्रक ड्राईवर को उनकी औकात बताने वाले नौकरशाह की औकात पर भी करारा तमाचा पड़ गया।


यह कैमरे कैद हुआ तो दिखाई भी दिया वरना इज्जत उतारने में इस तरह के दंभी नौकरशाह कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।  


बाण चला कर, कुछ ही क्षण में समुद्र सुखा देने वाले, भगवान श्री राम समुद्रतट पर 3 दिन व्रत करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। दंभी समुद्र देव के तीन दिनों तक भी विनय न सुनने पर उन्हें अंत में बाण उठाना ही पड़ता है। रामायण में शक्तियों का प्रयोग किन्हीं 2 तरह से देखने को मिलता है। श्री राम अपने कर्मों से और अपनी शक्तियों के सही उपयोग से पूजनीय हैं वहीं दूसरी ओर रावण अपने शक्तियों के दुरुपयोग से व उस पर दंभ करने के कारण आज भी फूंक दिया जाता है। 


शक्तियां, हाय री शक्तियां, कल को हर एक व्यक्ति शक्तियों का प्रयोग आम लोगों पर रौब झाड़ने और बात बात पर उनकी औकात दिखाने लग जाएं तो धरती पर जल्द ही किसी अवतार को जन्म लेना पड़ेगा। 


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